सातवें अंतरराष्ट्रीय धर्म धर्मा सम्मेलन का शुभारंभ महामहिम राष्ट्रपति महोदया द्रोपति मुर्मू के कर कमलों से
टिकेश्वर निषाद की रिपोर्ट
भोपाल मध्य प्रदेश महामहिम राष्ट्रपति महोदया श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी तथा माननीय राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल जी के साथ भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे भवन में आयोजित 7वें अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन के शुभारंभ कार्यक्रम में सहभागिता की। माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को ओम्कारेश्वर प्रकल्प की पुस्तक ‘एकात्म धाम’ भेंट की। आचार्य शंकर की ज्ञानभूमि को एकात्मता के वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। राष्ट्रपति जी की मंगलकामनाएं प्राप्त हुईं, इसके लिए हृदय से आभार प्रकट करता हूं। यह मध्यप्रदेश का सौभाग्य है कि 7वें धर्म धम्म सम्मेलन का आयोजन इस धरती पर हो रहा है। यहां पधारे सभी गणमान्यजनों और नागरिकों का प्रदेश वासियों की ओर से स्वागत करता हूं। भारत अत्यंत प्राचीन और महान राष्ट्र है। एक ही चेतना समस्त जड़ और चेतन में विद्यमान है, यही भारत का मूल चिंतन है। इसीलिए भारत में कहा गया कि “सियाराम मय सब जग जानी”, “अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्”। भारत के गांव-गांव में बच्चा-बच्चा यह उद्घोष करता है कि ‘धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो।’
भगवान बुद्ध ने कहा कि ‘युद्ध नहीं शांति, घृणा नहीं प्रेम, संघर्ष नहीं समन्वय, शत्रुता नहीं मित्रता’ और यही वो मार्ग है जो भौतिकता की अग्नि में दग्ध विश्व मानवता को शांति का दिग्दर्शन कराएगा। धरती पर रहने वाले सभी मनुष्य एक परिवार हैं। अब धरती पर रहने वाले प्राणियों के बारे में भी सोचा जाने लगा है। मध्यप्रदेश में अभी चीता विलुप्त हो गए थे तो हम इसे दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से ले आए। मुझे कहते हुए प्रसन्नता है कि धर्म धम्म का पहला सिद्धांत सभी जीवों के साथ दया और सम्मान के साथ व्यवहार करना है। एक ही चेतना सब में है।