अजब गजब
कविता ,,,
सुनसान,,,,,,,,,,
कभी सदियों पहले
सुना था कर्फ्यू
जब आता है
पूरा शहर खामोश
हो जाता है,
हर खटपट हर हलचल
थम सी जाती है
हर धड़कन शून्य हो जाती
चारों तरफ बस खामोशी
सन्नाटा सुनसान हो जाता
पनघट का कोलाहल
पेड़ों पर पक्षियों का कलरब
बच्चो की किलकारियां
आवाजाही की रफ्तार
फेरी वालो की आवाज़
सब खामोश हो जाती
जब कर्फ्यू आता था।
आज भी मेरा नगर
एक सन्नाटे में है
चारों तरफ सुनसान है
हर घर हर गली
हर चौक, चौराहे
खामोश है।
आज कर्फ्यू नही है
आज जीवन और
जिंदगी बचाना है
घर मे रहकर
जंग जीतना है
2गज की दूरी रखकर
ये पूरा जनमानस को
जन सन्देस देना है।
खामोश श हर है
बंद है पूरी हलचल।
–——राजेन्द्र प्रसाद नामदेव
व्याबरा होशंगाबाद