अजब गजब
कविता,,,,राजेन्द्र प्रसाद नामदेव व्याबरा होशंगाबाद
,झीलो कि नगरी
पहाड़ो की सुंदरता
किले की भव्यता
कल कल बहती नर्मदा नीर
सबकी हरती हर पीर।
हर घाट हर मोड़ हर गली
हर पार्क हर बाजार
थी खिलखिलाहट भरी हँसी,,,
जाने कहा नदारद हो गई
हर सड़के है सुनसान
हर घर, हर गली है खामोश।
पूरे नगर में बस सुनाई दे रही
पुलिस का सायरन
एम्बुलेंस का सायरन
क्या हो गया,मेरे शहर को
कहा गुम हो गई चहलपहल
कहा गुम हुई नगर कि हँसी
क्या कहर बरपा है,
अपनो का अपनो से
गजव का फासला बढ़ा है।
जिंदगी भी लाचार है
जीवन भी दुःशार है
,,,,,,,,राजेन्द्र प्रसाद नामदेव
व्याबरा होशंगाबाद mp