सरकार ने किया बदलाव:अब पदोन्नति छोड़ने वाले कर्मचारी को नहीं दिया जाएगा उच्चतर वेतनमान का लाभ
भोपाल से एम जी सरबर की रिपोर्ट
सरकार ने किया बदलाव:अब पदोन्नति छोड़ने वाले कर्मचारी को नहीं दिया जाएगा उच्चतर वेतनमान का लाभ
अब पदोन्नति छोड़ने वाले कर्मचारी को नहीं दिया जाएगा उच्चतर वेतनमान का लाभ,
तबादले या उच्च पद की जिम्मेदारी लेने के डर से पदोन्नति नहीं लेने वाले कर्मचारियों को अब आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ेगा। सरकार ऐसे कर्मचारियों को पदोन्नति छोड़ने के बाद उच्चतर वेतनमान का वित्तीय लाभ नहीं देगी। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं। 29 अगस्त से ही यह संशोधन लागू हो गया है। इसका असर प्रदेश के सभी 7.50 लाख कर्मचारियों पर पड़ेगा।
मध्य प्रदेश में पहले क्रमोन्नति योजना लागू थी, इसमें संशोधन कर 4 स्तरीय समयमान वेतनमान लागू किया गया। इसके तहत पदोन्नति न मिलने की स्थिति में 10, 20, 30 और 35 वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर कर्मचारी को उससे वरिष्ठ पद का वेतनमान दे दिया जाता है। ऐसे कर्मचारी को बाद में पदोन्नति दी जाती थी, तो वह उसे छोड़ देते थे। क्योंकि बढ़ा हुआ वेतन तो पहले से ही मिल रहा है। ऐसे मामलों में सरकार कर्मचारी को पहले से मिलने वाला क्रमोन्नति का लाभ देना बंद कर देती थी और क्रमोन्नति स्वीकृति से पदोन्नति के बीच की अवधि में मिले आर्थिक लाभ की वसूली भी की जाती थी।
एक दिन पहले ही किए गए संशोधन के अनुसार अब पदोन्नति छोड़ने पर कर्मचारी को पहले से मिल रहा आर्थिक लाभ बंद नहीं किया जाएगा। बल्कि उसे भविष्य में उच्चतर वेतनमान का लाभ नहीं दिया जाएगा। यानी ऐसे कर्मचारी को स्थाई रूप से भविष्य में मिलने वाले उच्चतर वेतनमान का नुकसान होगा।
तबादले के कारण छोड़ देते हैं पदोन्नति
वैसे तो मध्य प्रदेश में कर्मचारियों को पिछले सवा आठ साल से पदोन्नति नहीं मिल रही है, पर जब मिलती थी, तब कर्मचारी तबादले या बड़े पद की जिम्मेदारी से बचने के लिए छोड़ देते थे। उनका तर्क रहता था कि जब उस पद का वेतनमान मिल ही रहा है, तो पदोन्नति लेकर तबादले का जोखिम क्यों उठाएं। ऐसे ही कुछ कर्मचारी वरिष्ठ पद की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते हैं। क्योंकि इससे उनकी जिम्मेदारी बढ़ेगी और परेशानी भी। जबकि उस पद का आर्थिक लाभ मिल ही रहा है।