दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन गिरफ्तारी से पहले और बाद का अंतर किसी ने सच ही कहा है बाप का धन फूलता है पलता नहीं
दादी नानी अक्सर कहा करती थी यह बात
‘पाप का धन फूलता है,फलता नहीं’दादी अक्सर कहा करतीं थीं यह बात।
अधर्म, अनीति एवं भ्रष्टाचार से अर्जित किया हुआ धन बाहरी रूप से देखने में तो बहुत सुख देता प्रतीत होता है पर वास्तव में यह आनेवाले भयावह दिनों के आगे पड़ा एक सुनहरा पर्दा मात्र सिद्ध होता है। अनैतिक स्रोतों से, छलपूर्वक, चोरी करके अर्जित की हुई धन संपत्ति ना सिर्फ भौतिक सुख और शानोशौकत के अंबार लगा देती है बल्कि ऐसा करनेवाले की बुद्धि तक इस प्रकार भ्रष्ट कर देती है कि उसे अपने कर्मों में कोई भी दोष दिखाई देना भी बंद हो जाता है। पाप के धन से अर्जित अन्न का सेवन करने का सबसे पहला दुष्प्रभाव सदबुद्धि का नाश अर्थात अच्छे बुरे में अंतर कर सकने की क्षमता का नष्ट हो जाना होता है।
नाई के बाल आगे आना कहावत की तरह कलयुग में कर्मों का फल भी तत्काल प्राप्त हो जाता है। ईश्वरीय न्याय और कर्मफल के सिद्धांत में विश्वास ना करनेवाले बड़ेबड़े रसूखदार पाप का घड़ा भर जाने पर यहीं अपनी करनी के हाथों लज्जित होते हैं,अर्श से फर्श पर आ जाते हैं और वह धन जिसके लिए धर्म, सत्य न्याय,लज्जा सबको ताक पर रख दिया था अंततः ना स्वयं के किसी काम आ पाता है ना संतानों के। वाहवाही करनेवाले, भीड़ लगानेवाले, हराम के पैसों पर पार्टी उड़ानेवाले कोई काम नहीं आता जब कर्मों का फल भुगतने की बारी आती है।
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है,
जिस डाल पर बैठे हो, वो टूट भी सकती है।
एक भी रुपया जिस पर नैतिक रूप से हमारा अधिकार नहीं है,अगर हमारे भाग्य में आता दिखाई दे रहा है तो साक्षात दुर्भाग्य, प्रत्यक्ष काल हमारे ऊपर कृपालु हो रहा है समझना चाहिए।
चित्र-दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे सतेंद्र जैन भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तारी से पहले और बाद में।