लाचार और दब्बू मंत्री ने मछुआरों की मांगों पर हाथ खड़े किए
मत्स्य महासंघ व मछली ठेकेदार मछली के मनमाने रेट तय कर सकते है, किन्तु मछुआरों को यह अधिकार नही: भंवरिया
*लाचार और दब्बू मंत्री ने मछुआरों की मांगों पर हाथ खड़े किए*
*मत्स्य महासंघ व मछली ठेकेदार मछली के मनमाने रेट तय कर सकते है, किन्तु मछुआरों को यह अधिकार नही: भंवरिया*
प्रदेश में म. प्र. मत्स्य सहकारी महासंघ भोपाल के अधीनस्थ 28 बड़े एवंम छोटे डेम तथा जलाशयों की डूब से विस्थापित और प्रभावित हुए मछुआरों की पंजीकृत समितियों की 27 वी वार्षिक बैठक प्रदेश के मछली पालन मंत्री श्री नारायण सिंह पंवार की उपस्थिति में 12 नवंबर को मत्स्य सहकारी महासंघ मुख्यालय भदभदा भोपाल मे आयोजित की गई।
इस बैठक मे इंदिरा सागर डेम के समिति अध्यक्ष मंगल माझी दीपक शारदे विश्वजीत सुरेश केवट हबीब खान मदनलाल गांधी सागर डेम के खुदीराम बाणसागर डेम के बारेलाजी समिति अध्यक्षगणो ने लिखित में मछली पालन मंत्री को मांगपत्र देते हुए विभिन्न मांगों के साथ ही प्रमुख रूप से यह मांग रखी कि हमारी समितियों के मछुआ सदस्यों के व्दारा इन डेम और जलाशयों से पकड़ी जाने वाली मछलियों की मजदूरी दरें गत तीन वर्षों से नहीं बड़ाई गई है अतः मछली पकड़ने की दर बड़ाई जाए किन्तु मछली पालन मंत्री श्री पंवार ने मछुआरों की इन मांगों पर यह कहते हुए हाथ खड़े कर दिए कि मैं इन मांगों पर कोई निर्णय नही कर सकता और जो कागज आप लोगों ने दिए है उन कागजों को मैं मुख्यमंत्रीजी को दे दूगा, मंत्रीजी के ऐसे जवाब और मछुआरों की जायज मांगों को अनदेखा कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेने वाले भाजपा सरकार के इस अधिकारविहीन दब्बू मंत्री को अपना मंत्री पद छोड़ कर पार्टी ने भाजपा कार्यालय में झाड़ू लगवाने के काम पर लगा देना चाहिए।
नर्मदा घाटी मछुआ आन्दोलन संयोजक एवंम फिशरमैन (मछुआ)कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सदाशिव भंवरिया ने कहा कि राज्य शासन ने प्रदेश के मछुआरों के हितों के रक्षार्थ मत्स्य महासंघ का गठन किया था किन्तु महासंघ अपने इस मूल उद्देश्य से पूर्णतः भटक गया है और मछुआरों के तमाम हितों को दरकिनार करते हुए जलाशयों को ठेकों पर लेने वाले ठेकेदारो के हितों की रखवाली कर बिचौलिया बन कर रह गया है। जिसका जीवंत उदाहरण यह है कि समिति के मछुआरों व्दारा इन जलाशयों से मत्स्य महासंघ निम्नतम दरों पर मछली पकड़वा कर लेता है जिसे वह अपने निर्धारित दरों पर मछली ठेकेदारों को बेच देता है और ठेकेदार इन्हीं मछलियों को अपने स्तर पर तय किए मनमाने दरों पर व्यापारियों को बेचता है। किन्तु गहरे से गहरे पानी में जा अपनी जान जोखिम में डालकर मछलियां पकड़ने वाले मछुआरों को अपनी मजदूरी तय करने का कोई अधिकार नही है।
मछुआ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भंवरिया ने कहा कि मत्स्य सहकारी मर्यादित महासंघ के सन् 1996 मे अंतिम बार चुनाव हुए थे जिसका पांच वर्षिय कार्यकाल समाप्त हुए 23 वर्ष से अधिक हो गये है। किन्तु बिते 21 वर्षों से प्रदेश में सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार ने मत्स्य महासंघ के चुनाव कराने के रत्तीभर प्रयास नही किए नतीजन महासंघ को अपना चारागाह बना चुके यहां के अधिकारी तानाशाही पर उतरते हुए अपने अधीनस्थ डेम और जलाशयों को ठेके लेने वाले ठेकेदारों और मछली पालन विभाग के बिच बिचौलिया बन मछली ठेकों के मनमाने अनुबंध कर स्थानीय मछुआरो की अनदेखी और शोषण करते हुए प्रदेश के बाहर से लाए मछुआरों से अवैध मत्स्याखेट को पर्दे के पिछे से बढ़ावा दे महासंघ को होने वाली करोड़ों रुपए के राजस्व की हर साल हानि पहुंचा रहा है जिसका जीवंत उदाहरण खंडवा जिले में बने एशिया महाद्वीप के सबसे बड़े इंदिरा सागर डेम के छै माह पूर्व तक क्षेत्रिय प्रबंधक रहे और अब यहां से हटा दिए गए वी के राय के ऐसे ही ढेरों घोटालों और किए गए भ्रष्टाचार की अनगिनत शिकायतों पर बैठी विभागीय जांच अपने आप मे जीवीत साक्ष्य है।
मनोज सांवलिया महासचिव व मिडिया प्रभारी म.प्र.मछुआ कांग्रेस