बेरखेड़ी एक बार फिर बना टापू ,2 दिन से एक दर्जन गांव पानी से घिरे ,15 हजार की आबादी घरों में कैद,बिजली व्यवस्था भी ठप्प “
उपेन्द्र कुमार गौतम की रिपोर्ट
बेगमगंज ,
आज शुक्रवार को फिर से ग्राम बेरखेड़ी 3 दिन से पानी गिरा होने के कारण टापू बन गया ।
बेरखेड़ी के पुल पर अभी भी करीब 3 से 4 फीट ऊपर पानी होने के कारण आवागमन आज भी बंद रहा लेकिन यहां पर कोई सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं होने के कारण कुछ लोग जान जोखिम में डालकर दोपहिया वाहन सहित पुल पार करते देखे गए। जबकि पिछले वर्ष बेरखेड़ी के इसी पुल से एक दो पहिया वाहन चालक इसी तरह जल्दबाजी में निकलने के कारण तेज बहाव के पानी में बह जाने के कारण अपनी जान गवा बैठा था और इसके अतिरिक्त पिछले वर्षों में भी इस तरह की 4 घटनाएं हो चुकी हैं । जिनमें 6 लोग अपनी जान गवा चुके हैं । फिर भी क्षेत्र के लोग सबक नहीं ले रहे हैं और घर पहुंचने की जल्दबाजी में पुल के ऊपर पानी होने के बावजूद भी वाहन सहित निकल रहे । जिन्हें रोकने- टोकने वाला कोई नहीं है। यदि कोई अनहोनी हो जाएगी तो कौन इसका जिम्मेदार होगा ।
अपने गृह ग्राम बेरखेड़ी को समस्या मुक्त नहीं कराने वाले पूर्व स्वास्थ्य मंत्री से क्षेत्र के लोगों द्वारा अपेक्षा थी की वह अपना घर होने के कारण प्रतिवर्ष होने वाली इस समस्या से छुटकारा दिलाएंगे लेकिन आज दिनांक तक उनके द्वारा इस संबंध में कोई पहल नहीं किए जाने से इस क्षेत्र के एक दर्जन के ऊपर गांव अति वर्षा होने की दशा में टापू बन जाते हैं। जिससे इस क्षेत्र की करीब 15000 की आबादी चारों ओर से पानी से घिर जाने के कारण अपने अपने घरों में कैद हो जाती है ।
पश्चिम दिशा से गुजरने वाली बीना नदी पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष कुछ ज्यादा ही उफान पर है क्योंकि बीना बांध परियोजना के अंतर्गत मढ़िया बांध का निर्माण हो जाने के कारण पानी का भराव बहुत ज्यादा हो गया है । जिससे पानी नदी के दोनों घाटों के ऊपर तक ठेल मार रहा। जरा- सी बारिश होते ही इस क्षेत्र के नदी नाले उफान पर आ जाते हैं और यहां के बाशिंदे चारों ओर से पानी गिर जाने के कारण अपने- अपने घरों में कैद हो जाते हैं।
इस बार पुनः पिछले 2 दिन से कमोवेश यही स्थिति बनी हुई है । आज पांचवें दिन भी लगातार हो रही तेज बारिश के चलते जलस्तर बढ़ता जा रहा है। लोगों को बहुत जरूरी काम होने अथवा बीमारी की दशा में 8 किलोमीटर दूर से चक्कर लगाकर तहसील मुख्यालय पर आवागमन करना पड़ रहा है । वह भी अपनी जान जोखिम में डालकर ।
पिछले कुछ वर्षों से लगातार बेरखेड़ी घाट के पुल की ऊंचाई बढ़ाए जाने की मांग इस क्षेत्र के लोग करते आ रहे हैं ।
जब- जब भी पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी अपने घर आए तब- तब यहां के लोगों द्वारा उपरोक्त समस्या बताते हुए पुल की ऊंचाई बढ़ाए जाने की बराबर मांग की गई लेकिन आश्वासन दिए जाने के बावजूद भी आज तक पुल की ऊंचाई नहीं बढ़ाई गई। जिसके कारण गत वर्षो की अपेक्षा इस वर्ष ज्यादा समस्या खड़ी हो रही है।
मानसून को सक्रिय हुए अभी तो एक सप्ताह भी नहीं हुआ है और लगातार 2 दिन से आवागमन बंद पड़ा हुआ है। लोग चिंतित हैं कि अभी तो वर्षा काल की शुरुआत हुई है कम से कम तीन माह और बारिश होने की संभावना है। तब आगे चलकर उनका और इस क्षेत्र का क्या होगा। इसी शंका को लेकर लोगों में भय व्याप्त है ।
दूसरी ओर मडिया बांध में पूरी तरह डूब क्षेत्र में आने वाले ग्राम ककरुआ , चांदामऊ, बेलई एवं आंशिक रूप से डूब क्षेत्र में आने वाले खजुरिया बरामद गढ़ी , झिरिया बरामद गढ़ी , चैनपुर , सुमेर , महूना गुर्जर , कोकलपुर , बेरखेड़ी , माला , सिलतिरा ,पीरपहाड़ी बर्री कला , बर्री खुर्द , सोंठिया , विनायकपुर खैरपुर , मानपुर , चंदोरिया , हफसीलि इत्यादि सहित दो दर्जन से अधिक गांव की 35 हजार से ऊपर की आबादी प्रभावित हो रही है । बारिस के प्रारंभ में जब यह स्थिति हो गई है तो जब बारिश की झड़ी लगेगी तब क्या होगा ? यह सोच सोच कर लोग परेशान हैं। लगातार पांचवें दिन भी गांव का सड़क संपर्क कटा हुआ है जिसके कारण लोगों को बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है चारों ओर पानी और कीचड़ के कारण आवागमन पूरी तरह बंद है ।
प्रशासन द्वारा बाढ़ से बचाव एवं राहत के लिए प्रबंधन समिति का गठन कर व्यवस्थाएं जुटाना शुरू कर दिया गया है ताकि बाढ़ की स्थिति में लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके और उनके भोजन , पानी एवं ठहरने की अच्छी व्यवस्था की जा सके।
इसको लेकर तहसीलदार एसआर देशमुख द्वारा अपनी टीम को लेकर सर्वे कराने के साथ डूब प्रभावित क्षेत्रों को चिन्हित किए जाने के साथ राहत एवं बचाव कार्यों के लिए पूरी तरह अलर्ट रहने की बात करते हुए उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग का अमला , पुलिस विभाग , स्वास्थ्य विभाग , पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग सहित सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि , समाजसेवी , मीडिया कर्मी एवं व्यापारियों से सतत संपर्क बनाए हुए है ताकि प्राकृतिक विपदा की स्थिति में तत्काल उनकी सहायता ली जा सके।
फोटो – ग्राम बेरखेड़ी के पुल से जान जोखिम में डालकर निकलते हुए लोग ।