रायसेन फिशरमैन कांग्रेस ने मनाया धिक्कार दिवस
महामहिम राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन
प्रति
माननीय महामहिम राष्ट्रपति जी भारत सरकार
मननीय राज्यपाल महोदय म. प्र. शासन
विषयः- म. प्र. राज्य में माझी मछुआ समाज के साथ शासन व्दारा वादाखिलाफी कर आरक्षण खत्म करना और जाति धंधे में गैर लोगों को प्रवेश करने पर अंकुश लगाने संबंधी।
अनुरोध है कि म.प्र.मे निवास करने वाले माझी मछुआ समाज जिन्हें कहार भोई ढीमर केवट नाविक मल्लाह निषाद सिंगराहे सिंघरोड़े उपनाम रायकवार बाथम कश्यप बर्मन का पैतृक रुप से जातिगत व्यवसाय मछली पालन मत्स्याखेट, नाव चालन करना एवं नदी तालाबों से निकली जमीनों पर खरबुजा तरबुज लगाना प्रमुख काम है और यह समाज आर्थिक और शैक्षणिक रुप से कमजोर है यह समाज सदियों से भारत भुमि का मूल निवासी है यह लोग आरंभ से ही नदी पहाड़ो जलाशयों के करीब रहते आये है और इनके रहन सहन और खान-पान में आदिम युग की झलक देखी जा सकती है इन लोगो को देश आजाद होने के बाद से ही संविधान में माझी जाति के नाम पर अनुसूचित जनजाति का आरक्षण भी दिया गया है जिसमें कुछ किन्तु परन्तु लगाकर यह आरक्षण सन् 1949 – 50 से लगातार मिलता रहा है किन्तु प्रदेश की भाजपा सरकार ने अचानक 1 जनवरी 2018 से यह आरक्षण ख़त्म कर दिया है।
अतएवं माझी मछुआ समाज को राहत देने हेतु नीचे दर्शित बिन्दुओं पर शासन तुरन्त अमल करें।
1 – माझी जाति को लेकर जारी आदेश दिनांक 1 जनवरी 2018 को संशोधित किया जाऐ
2 – पिछड़ा वर्ग सुचि क्र. 12 पर दर्ज सभी जाति तथा उपनामों को हटा कर अनुसूचित जनजाति की सुचि क्र. 29 पर दर्ज माझी के साथ जोड़ा जाए
3 – माझी जाति प्रमाणपत्रधारी लोगों के शिकायतों के आधार पर छानबीन समिति में लंबित सभी प्रकरणों को समाप्त किए जाएं
4 – मछली पालन नीति 2008 – 9 में शामिल कर दी गई गैर वंशानुगत मछुआ जातियों को यहा से हटाया जाए
5 – म. प्र. शासन व्दारा गत वर्ष प्रदेश में लागू किए गए पेसा एक्ट में प्रदेश के 89 आदिवासी विकासखंडो में जितने भी तालाब जलाशय है उन सभी में मछली पालन का अधिकार आदिवासी भाईयों को दे दिया गया है। इस पेसा एक्ट के बाद प्रदेश मे आदिवासी विकासखंडो के तालाबों से अब वंशानुगत मछुआरे बेदखल हो गए है।
अतः शासन व्दारा लागू पेसा एक्ट में संशोधन कर आदिवासी विकासखंडो के तालाबों जलाशयों में मछली पालन का काम वंशानुगत मछुआरों को ही वापस दिया जाना चाहिए
6 – नदी तालाब जलाशय से खुलने वाली जमीनो पर तरबुज खरबुज ककड़ी व साग-सब्जी आदि लगाने के लिए इन जमीनों के 15 वर्षीय पट्टे दिए जाए। ज्ञात रहे कि सन् 1988 से तत्कालीन म. प्र. सरकार ने 15 वर्षीय अवधि के ऐसे पट्टे प्रदेश में इस समाज के हजारों लोगों को दिए भी थे जो शासन के राजस्व रिकार्ड में अनेकों जिलों में दर्ज भी है
7 – नदियों से निकलने वाली रेत के पचास प्रतिशत पर माझी मछुआ समाज का अधिकार होना चाहिए
अनुरोध है कि प्रदेश के माझी मछुआ समाज के आर्थिक शैक्षणिक और सामाजिक स्तर टंको ऊपर लाने के लिए दर्शित इन बिंदुओं को लागू कराया जाना न्यायसंगत होगा।
सादर
||सुनील कहार||
भोजपुर विधानसभा
जिला अध्यक्ष फिशरमैन कांग्रेस रायसेन