भारत का नववर्ष विक्रम सम्वत् 2082 के प्रारंभ पर जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित
निवाड़ी से महेश चन्द्र केवट की रिपोर्ट
भारत का नववर्ष विक्रम सम्वत् 2082 के प्रारंभ पर जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित
रंग उत्सव नाट्य समिति के कलाकारों ने विक्रमादित्य पर केंद्रित नाट्य मंचन किया
मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग मंत्रालय के आदेशानुसार भारत का नववर्ष विक्रम सम्वत् 2082 के प्रारंभ पर आज शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय निवाड़ी के खेल ग्राउंड में विक्रमोत्सव 2025 मनाया गया। इस अवसर पर पुष्पांजलि अर्पित कर ब्रह्म ध्वज का वंदन किया गया। कलाकारों ने विक्रमादित्य पर केंद्रित नाटक का आकर्षक मंचन भी किया।
विधायक निवाड़ी श्री अनिल जैन के आतिथ्य में जनप्रतिनिधियों एवं कलेक्टर श्री लोकेश कुमार जांगिड़ द्वारा विधिवत कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर माँ सरस्वती की मूर्ति को पुष्पमाला अर्पित एवं ब्रह्म ध्वज वंदन कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। तत्पश्चात प्रस्तुति रंग उत्सव नाट्य समिति, रीवा द्वारा पुष्पांजलि अर्पित कर ब्रह्म ध्वज का वंदन किया गया। कलाकारों ने विक्रमादित्य पर केंद्रित नाटक का आकर्षक मंचन किया गया। अतिथियों द्वारा रंग उत्सव नाट्य समिति, रीवा के कलाकारों को को पुष्पगुच्छ एवं पुष्पमाला पहनाकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में विधायक निवाड़ी श्री अनिल जैन ने अपने उद्बोधन में भारतीय नववर्ष एवं विक्रम सम्वत् 2082 के आयोजन किए जाने पर शासन की मंशा के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि शासन द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ अंतिम छोर के व्यक्ति को मिले, इसके लिए शासन और जिला प्रशासन के अधिकारी लगातार इस दिशा में काम कर रहे हैं।
भारत का नववर्ष, विक्रम सम्वत् 2082
विक्रम सम्वत् का राष्ट्रीय पंचांग के रूप में स्वीकार वस्तुतः लोकमान्य पंचाग का स्वीकार है। साथ ही देश को विदेशी आक्रांतओं से मुक्त कराने वाले उज्जयिनी के प्रतापी राजा सम्राट विक्रमादित्य की महाविजय और राष्ट्र गौरव की पुनर्स्थापना का कालजयी अभिनंदन है। यह विगत इतिहास का अपेक्षित भूल सुधार है, जो हमें एक नई ऊर्जा और आत्मविश्वास से भर देता है। जो राष्ट्र प्रेम और मातृभूमि के वंदन से अनुप्राणित है। यह बेमिसाल ताकत उस विक्रम सम्वत् की है. जिसे महाकाल की नगरी उज्जयिनी के प्रत्तापी हिंदू राजा सम्म्राट विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रांता शकों को हराने की स्मृति को शाश्यत करने के उपलक्ष्य में ईस्वी. पूर्व 57 में चलाया था। विडंबना यह है कि भारत का आधिकारिक राष्ट्रीय पंचांग वो शक सम्वत है, जो शक राजा रूद्रदमन ने 58 ईस्वी में भारतीयों पर विजय के उपलक्ष में चलाया था। कहा जाता है कि शक सम्वत् के पक्ष में विद्वानों का पलड़ा सिर्फ इसलिए झुका, क्योंकि ऐतिहासिक प्रमाण उसके पक्ष में ज्यादा थे। शुद्ध कालगणना अथवा कालक्रम को आधार बनाने की बजाय यदि इतिहास की प्रवृत्तियों और उसके राजनीतिक, भावनात्मक पक्ष को समझें तो विक्रम सम्वत् ही भारत का राष्ट्रीय पंचांग कहलाने का हकदार है। वैसे भी लोक संस्कृति इतिहास को अपने ढंग से संजोती और संरक्षित करती आयी है। इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। आज भी हिंदुओं के सभी तीज त्यौहार, संस्कार व ज्योतिष गणनाएँ ज्यादातर विक्रम सम्वत् के हिसाब से ही होती है न कि शक सम्वत् के हिसाब से। इसका भावार्थ यही है कि आज भी लोक मान्यता विक्रम सम्वत् की ज्यादा है बजाय शक सम्वत् के। ऐसे में भारत सरकार को राष्ट्रीय पंचांग के रूप में विक्रम सम्वत् को स्वीकार करने की दिशा में ठोस अकादमिक प्रयास करने चाहिए ताकि इस सम्वत् के रूप में हिंदू संस्कृति के जयघोष के साथ-साथ सम्राट विक्रमादित्य की न्यायप्रियता के आग्रह की भी पुनर्प्रतिष्ठा हो सकें। इसे और प्रामाणिक आधार देने के लिए नए ऐतिहासिक शोध और विद्वत चर्चा की मदद भी ली जा सकती है।
चैत्र हिंदू पंचांग
चैत्र हिंदू पंचाग का पहला मास है। इसी महीने से भारतीय नववर्ष आरम्भ होता है। हिंदू वर्ष का पहला मास होने के कारण चैत्र की बहुत ही अधिक महत्ता है। अनेक पर्व इस मास में मनाये जाते हैं। चैत्र मास की पूर्णिमा, चित्रा नक्षत्र में होती है इसी कारण इसका महीने का नाम चैत्र पडा। सतयुग का आरम्भ भी चैत्र माह से माना जाता है। इसी दिन से नया सम्बत्सर शुरू होता है। हैं। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को नवसम्वतार भी कहते है। इसी दिन चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ होता है।
इस अवसर पर श्री नंद किशोर नापित, अन्य जनप्रतिनिधि, सीईओ जिला पंचायत श्री रोहन सक्सेना, एसडीएम श्री अनुराग निंगवाल, डिप्टी कलेक्टर श्री राजेन्द्र मिश्रा, तहसीलदार श्री सुनील डावर, कार्यक्रम के नोडल अधिकारी श्री राघव पटसारिया, पत्रकारगण, अधिकारी एवं जनसमूह उपस्थित रहा।